छत्तीसगढ़,
भारत रत्तन लता मंगेशकर का रविवार की सुबह 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने 17 साल पहले छत्तीसगढ़ी गीत को भी आवाज दी थी। छत्तीसगढ़ी गीत को अपने कोकिला कंठ से आवाज देने वाली लता मंगेशकर को छत्तीसगढ़ हमेशा याद रखेगा। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ से एक गहरा जुड़ाव है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में एकमात्र गाना भकला फिल्म के लिए ‘छूट जाही अंगना दुवारी‘ गाया था जो उस दौर का काफी चर्चित हुआ था। छत्तीसगढ़ के लोग लता मंगेशकर की आवाज में गाया हुआ गाना शादी विवाह के दौरान विदाई में गुनगुनाया करते हैं।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से गहरा नाता
भारतरत्न दिवंगत लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से पुराना और गहरा नाता रहा है. वह इस विश्वविद्यालय को कला और संगीत के लिए गुरुकुल की दृष्टि से देखती थीं. खैरागढ प्रवास के दौरान उन्हें मानद डी लिट् की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है. वर्तमान में विश्वविद्यालय की कुलपति ममता चंद्राकर उस वक्त खैरागढ में छात्रा थी.
कढ़ी का स्वाद चखा था
लता मंगेशकर 2 फरवरी 1980 को खैरागढ आयीं थीं. उन्हें इस विश्वविद्यालय से डी.लिट्ट की मानद उपाधि से विभूषित किया गया था. वर्तमान में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति, प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर उन दिनों इस विश्वविद्यालय में शास्त्रीय संगीत (गायन) विषय से एमए की छात्रा थीं. उस प्रवास के दौरान अतिथियों को छात्र-छात्राओं ने भोजन परोसा था. भोजन परोसने वालों में ममता चंद्राकर भी शामिल थीं. ममता चंद्राकर ने लता जी को कढ़ी परोसा था. स्वर कोकिला ने चाव के साथ कढ़ी का आनंद लिया था. विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री ममता चंद्राकर ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि -”भारतरत्न लता जी हमेशा मेरी आदर्श रहीं. उनका इस दुनिया से जाना मेरे लिए व्यक्तिगत और अपूरणीय क्षति है. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय इस दुख के क्षण में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि व्यक्त करता है.