रायपुर
प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं ने इनकी मांग पूरी करने का वादा किया था। ढाई साल बीत गए लेकिन अब तक मांगों का कुछ नहीं हुआ। इसलिए अब रायपुर में धरना स्थल के पेड़ के नीचे धरना देना इनकी मजबूरी है।
अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ शिक्षक विधवा महिलाएं बीते 50 दिनों से अधिक समय से धरने पर बैठी हैं। शासन-प्रशासन की अनदेखी से निराश इन महिलाओं ने गुरुवार, 8 सितंबर को खुद को जिंदा जलाने की कोशिश भी की। वहां मौजूद पुलिस ने जैसे-तैसे इन महिलाओं को आत्मदाह करने से रोक लिया। लेकिन इनका धरना अभी भी जारी है।
प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं ने इनकी मांग पूरी करने का वादा किया था। ढाई साल बीत गए लेकिन अब तक मांगों का कुछ नहीं हुआ। इसलिए अब रायपुर में धरना स्थल के पेड़ के नीचे धरना देना इनकी मजबूरी है।
आपको बता दें कि इन सभी विधवा महिलाओं के पति प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पंचायत शिक्षक थे यानी पंचायतों के स्कूल में बच्चों को पढ़ाते थे। लेकिन किसी की बीमारी, तो किसी की हादसे में मौत हो गई। अब पिछले 3-4 सालों से ये महिलाएं पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग लेकर दर-दर भटक रही हैं।
क्या है पूरा मामला?
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये महिलाएं बीते लंबे समय से अनुकंपा पर नौकरी की मांग कर रही हैं। लेकिन ना तो पिछली बीजेपी सरकार ने और ना ही वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने उनकी मांग पूरी की है। चुनाव के समय इनसे बड़े-बड़े वादे जरूर कर दिए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद सब मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
कई रिपोर्ट्स की मानें तो इन महिलाओं पर उनके बच्चों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी है। लेकिन नौकरी ना मिलने की वजह से ये महिलाएं घर छोड़कर राजधानी रायपुर में विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं। सरकार की तरफ से मांग न पूरी किए जाने की वजह से ये महिलाएं इतनी हतोत्साहित हो गई हैं कि अब धरना स्थल पर ही आत्मदाह की कोशिश करने लगी हैं।
‘बहाना बनाती है सरकार’
ताज़ा मामले में ये महिलाएं पिछले 51 दिनों से विरोध प्रदर्शन पर हैं। इन प्रदर्शनकारी महिलाओं ने क्रमिक भूख हड़ताल भी शुरू की है। इन महिलाओं का कहना है कि सरकार बार-बार तरह-तरह के बहाने बनाकर उनकी मांग टाल देती है। लेकिन इस बार प्रदर्शनकारियों ने ठाना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वो यहां से हिलेंगी नहीं।
दो हफ्ते पहले पंचायत दिवंगत अनुकंपा नियुक्ति संघ प्रदेश अध्यक्ष माधुरी मिर्गे ने स्थानीय मीडिया को बताया कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। लेकिन सच्चाई यही है कि महिलाओं की सुनवाई नहीं होती।
माधुरी मिर्गे के अनुसार, “इस सरकार ने चुनाव के पहले वादा किया था कि सरकार में आते ही हम लोगों को अनुकंपा पर नौकरी देंगे। कई महिलाओं की आर्थिक हालत बहुत बिगड़ चुकी है। बच्चे दाने-दाने के लिए मोहताज़ हो गए हैं। वो अपनी मां से पूछते हैं कि घर कब आओगी। मां कहती है कि धरने से सीधे नियुक्ति पत्र लेकर ही आएंगे नहीं तो वहीं प्राण त्याग देंगे।”
सरकार क्या कह रही है?
इस मामले में छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नियमित कर्मचारी के आश्रितों को ही अनुकंपा पर नौकरी मिलती है। जो महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं, उनके पतियों की नियुक्ति नियमित नहीं थी। इन्हें नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि उन्होंने आगे ये भी कहा कि इन महिलाओं की मांगें आगे बढ़ाई गई हैं। शासन की तरफ से अनुमति मिलने पर इन्हें अनुकंपा पर नौकरी दी जाएगी।