साहित्य,
चेरापूंजी कस बरसत हे
छत्तीसगढ ह तरसत हे
सोसायटी वाला मन ह
सुरुज देखे बर तरसत हे
कका कइसनो करके तै
मौसम ल सुधार ले
झन मूंद अपन ऑखी ल
बटबट ले उघार ले
अइसन पानी गिरही तौ
हो जाही ग हहाकारी
काम बूता ठप्प पर जाही
बढ जाही ग बीमारी
जुरमिल के करव पराथना
सुनही बांके बिहारी
बंद होही पानी के गिरना
रुक जाही कोरोना महामारी
-: सुरेन्द्र अग्निहोत्री “आगी”
(महासमुंद)