बीजिंग
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना को भले 100 साल पूरे हो गए हों लेकिन वहां आज भी राजनीति में महिलाएं अपना वजूद तलाश रही हैं। सुपचाइना की एसोसिएट एडिटर जियायुन फेंग के मुताबिक, चीन में बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक बदलाव आया है।
बीती एक सदी में काफी विकास हुआ है लेकिन देश की राजनीति में पुरुष ही हावी हैं। सीपीसी के शताब्दी समारोह के अवसर पर एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल ने चीनी राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की मौजूदा स्थिति को लेकर एक सर्वे किया था।
इसमें पता लगा है कि वहां राजनीति में महिलाओं की भूमिका काफी कमजोर है।सर्वे के मुताबिक, सीपीसी के लगभग 9.2 करोड़ सदस्यों में से सिर्फ 2.8 करोड़ ही महिलाएं हैं । यानी पार्टी में उनकी मौजूदगी 30 प्रतिशत से भी कम है।
हैरानी की बात यह है कि 13 वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस, चीन की शीर्ष विधायिका और देश के शीर्ष राजनीतिक सलाहकार निकाय की 13 वीं चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) के सभी प्रतिनिधियों में सिर्फ पांच महिलाएं शामिल हैं।
1949 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद से एक बार भी एक महिला को चीन के शीर्ष राजनीतिक पद पर नियुक्ति नहीं मिली है। पोलित ब्यूरो में 71 वर्षीय डिप्टी पीएम सुन चुनलन इकलौती महिला हैं । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीनी राजनीति में आज भी पुरुषों का ही बोलबाला है।
शीर्ष पदों पर आने से पहले महिलाओं को प्रांतीय अनुभवों से गुजरना पड़ता है। राष्ट्रीय स्तर पर आने तक वे सेवानिवृत्ति की उम्र तक आ जाती हैं। यहां महिलाओं को 55 साल में रिटायर किया जाता है। यूसीएसडी में स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के सहायक प्रोफेसर विक्टर शिह ने कहा, सीपीसी सदस्यों की भर्ती में महिला कार्यकर्ता को लेकर पूर्वाग्रह रहता है। उन्हें ऊंचे पद के काबिल नहीं समझा जाता।