गुरु के अस्त कालांश में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नही होगा – आचार्य योगेश

रायपुर 

सनातन धर्म में शुभ कार्य को शुभ समय और शुभ अवधि में ही किया जाता है |  लेकिन वर्ष के कुछ अवधि ऐसी आती है जिसे अशुद्ध कालांश कहा जाता है । इस अशुद्ध कालांश में शुभ कार्य नही किए जाते ऐसी ही अवधि तब आती है जब गुरु (बृहस्पति) अस्त हो जाता है ।
इस साल दिनांक 22 फरवरी 2022 मंगलवार को 3 बजकर 6 मिनिट पर गुरु अस्त होगा 23 मार्च 2022 बुधवार को प्रातः 9 बजकर 5 मिनुट पर उदय होगा। गुरु के अस्त कालांश में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नही होगा । गुरु अस्त होने के 3 दिन पूर्व वृद्धत्व काल रहता है तथा उदय होने के तीन दिन बाद तक बालत्या काल रहता है इस काल मे भी कोई शुभ या मांगलिक कार्य सम्पन्न नही होगा ।