अमेरिका : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी अपने कार्यकाल की शुरुआत कई तरह की योजनाओं के साथ की थी जैसे कोरोना महामारी से राहत, बुनियादी ढांचे में निवेश और सरकारी सुरक्षाओं को बढ़ाना.
लेकिन, पिछले डेढ़ महीनों में जो बाइडन पर उसी तरह का एक घूसा पड़ा है यानी उनके सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं और योजनाएं रखी रह गई हैं.
अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद बनी स्थितियों के चलते जो बाइडन की पब्लिक अप्रूवल रेटिंग पहली बार नकारात्मक हुई है. वहीं, महंगाई बढ़ी हुई है और कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट बढ़ी परेशानियों ने बाइडन प्रशासन की क्षमताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. खासतौर पर स्वतंत्र मतदाताओं के बीच उनकी छवि पर असर पड़ा है.
हालांकि, उनकी कुछ योजनाएं जैसे महामारी राहत क़ानून बन गए हैं, लेकिन डेमोक्रेट्स के अंदरूनी टकराव और रिपब्लिकन के विरोध के चलते इस एजेंडे के अन्य हिस्सों के भविष्य पर संदेह बना हुआ है.
जो बाइडन के सामने इस समय कई चुनौतियां हैं जो उनके कार्यकाल के पहले ही साल को कांटों भरा रास्ता बना रही हैं.
‘बिल्ड बैक बेटर’ पर सफलता, विफलता निर्भर :
इस साल की शुरुआत में डेमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति कार्यकाल के पहले आधे हिस्से के लिए बाइडन के विधायी एजेंडे को लागू करने के लिए दो चरणीय योजना बनाई थी. पहला था द्विदलीय बुनियादी ढांचा खर्च पैकेज. सीनेट ने इसे अगस्त में पास कर दिया लेकिन अब ये हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेनटेटिव्स में अटका पड़ा है.
बाइडन की योजना के खरबों डॉलर के दूसरे हिस्सा को लेकर कदम उठाना बाकी है. इससे हिस्से में बच्चों की देखभाल, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुज़ुर्गों की देखभाल, परिवार के लिए छुट्टियां आदि कल्याणकारी कार्य शामिल हैं. बाइडन के इन दो प्रस्तावों ‘बिल्ड बैक बेटर’ और ‘केयरिंग इकोनॉमी’ पर इस साल उनकी सफलता या विफलता निर्भर करती है.
दूसरा पैकेज डेमोक्रेटिक वोट के ज़रिए कांग्रेस में पास कराया जा सकता है लेकिन इस पैकेज में होने वाले खर्च और इसके आकार को लेकर सभी डेमोक्रेट्स को तैयार करना आसाना नहीं होगा. डेमोक्रेट्स के अंदरूनी टकराव भी जाहिर होते रहे हैं. पश्चिमी वर्जिनिया से आने वाले जो मंचिन एक प्रभावित सेंटरिस्ट हैं. उन्होंने साफ़तौर पर कह दिया है कि वो 1.5 ट्रिलियन डॉलर की लागत के पैकेज का समर्थन नहीं करने वाले हैं. उन्होंने चिंता जताई है कि इससे पर्यावरण को नुक़सान पहुंच सकता है, टैक्स बढ़ सकता है और अमेरिका वैश्विक तौर पर कम प्रतिस्पर्धी हो सकता है.
वर्मोंट के बर्नी सैंडर्स राष्ट्रपति उम्मीदवार भी रह चुके हैं. वह कहते हैं कि वो 3.5 ट्रिलियन डॉलर की योजना से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे. वो सरकार द्वारा बुज़ुर्गों के लिए चलाई जा रही स्वास्थ्य योजना का दायरा बढ़ाना चाहते हैं. ये बुज़ुर्गों के लिए सरकार के लोकप्रिय प्रोग्राम ‘मेडिकेयर’ को सभी अमेरिकियों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य इंश्योरेंस योजना में तब्दील करने की ओर एक कदम है. कोई सीनेटर या पार्टी के भीतर कोई भी गुट कांग्रेस में पारित होने वाले किसी भी खर्च पैकेज की उम्मीदों को झटका दे सकता है.
जो बाइडन को डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर सभी को खुश रखना होगा या कम से कम नाखुशी के साथ नियंत्रित रखना होगा.आगे और भी मुश्किल मसले आने वाले हैं जैसे अमेरिकी ऋण-सीमा का विस्तार और अगले वित्तीय वर्ष का बजट है जिसे हफ़्तों के अंदर स्वीकृत कराना ज़रूरी है ताकि सरकारी कामकाज में रुकावट न आए.
एक ज़रा-सा भी झटका राष्ट्रपति बाइडन के नाजुक विधायी एजेंडे को पटरी से उतार सकता है.
कोरोना महामारी
बाइडन सरकार यह मानती आई है कि उनके प्रशासन की सफलता कोरोना महामारी को प्रभावी ढंग से संभालने पर निर्भर करती है.
एक समय ऐसा लगा भी कि अमेरिका ने इस महामारी पर जीत पा ली है. जुलाई में राष्ट्रपति ने अमेरिकियों से कहा था कि उन्हें इस वायरस से ‘आज़ादी’ मिलने ही वाली है. लेकिन, डेल्टा वेरिएंट के हमले से हालात बदल गए. फिर से नियम सख्त हो गए और अस्पताल उन मरीजों से भरने लगे जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई थी. इसके बाद राष्ट्रपति बाइडन के सुर बदल गए और उन्होंने वैक्सीन न लगवाने वाले 25 प्रतिशत लोगों को पूरे राष्ट्र को ख़तरे में डालने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया.
उन्होंने बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों के लिए वैक्सीनेशन और टेस्टिंग को अनिवार्य करने का आदेश दे दिया. इसके तहत करीब एक करोड़ अमेरिकी कर्मचारी आएंगे. शुरुआत में ये देखा गया कि वैक्सीन न लगाने वाले लोग इस दबाव पर क्या प्रतिक्रिया देंगे क्योंकि रिपब्लिकंस ने उनके समर्थन में बोलना शुरू कर दिया था. इसे क़ानूनी चुनौती दी जा सकती थी या राजनीतिक प्रतिरोध हो सकता था.
लेकिन, सर्वेक्षणों में सामने आया कि इस फ़ैसले को लेकर बहुमत राष्ट्रपति बाइडन के पक्ष में है. एक मॉर्निंग कंसल्ट सर्वे के मुताबिक 58 प्रतिशत लोगों ने निजी कर्मचारियों के लिए वैक्सीन और टेस्टिंग अनिवार्य करने के फ़ैसले का समर्थन किया. लगभग इतने ही लोगों ने सरकारी कर्मचारियों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए इसे अनिवार्य बनाने का समर्थन किया. इस सर्वे में दोनों ही फ़ैसलों को 60 प्रतिशत समर्थन मिला.
ये आंकड़े दिखाते हैं कि वैक्सीन से जुड़ी अनिवार्यता डेमोक्रेट्स के लिए राजनीतिक जीत दिलाने वाला एक मुद्दा हो सकता है. लेकिन, बाइडन प्रशासन के लिए ये फायदेमंद तब होगा जब कड़े फ़ैसलों से बेहतर नतीजे भी आएंगे.
अफ़ग़ानिस्तान ने पहले रेटिंग बढ़ाई फिर…
पहले देखा गया था कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका की वापसी जो बाइडन के लिए उपलब्धि बनकर आई है. उनकी अप्रूवल रेटिंग भी बढ़ी हुई थी लेकिन अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफ़ग़ानिस्तान में बनी अराजक स्थिति से जो बाइडन की रेटिंग में गिरावट आ गई. तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े को अमेरिका की हार बताया गया. अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान की बुरी हालत के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया.
हालांकि, सरकार को लगता है कि समय के साथ अफ़ग़ानिस्तान का मुद्दा अपना राजनीतिक असर खो देगा लेकिन फिर भी कई आशंकाएं बनी हुई हैं. अगर अफ़ग़ानिस्तान इस्लामिक चरमपंथियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया और वहां रह रहे अमेरिकियों को धमकाया गया या तालिबान ने अमेरिका के क्षेत्रिय सहयोगियों को अस्थिर करने की कोशिश की तो इससे जो बाइडन के फैसले पर सवाल खड़े हो सकते हैं.
वहीं, रिपब्लिकंस इसे राजनीतिक मुद्दा बनाए रखना चाहते हैं. वो विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकन का इस्तीफ़ा मांग रहे है. इसमें कुछ डेमोक्रेट्स भी शामिल हैं.
राजनयिक संबंधों की मुश्किलें
जो बाइडन को घरेलू ही नहीं बल्कि वैश्विक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. जो बाइडन के आठ सालों तक उप-राष्ट्रपति बने रहने और सीनेट की विदेशी संबंध समिति में दशकों बिताने के बाद अंतरराष्ट्रीय मामले उनका अनुकूल पक्ष माने जा रहे थे. लेकिन अनुभव हमेशा आसान सफलता नहीं दिलाते. हाल ही में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच हुए ऑकस समझौते ने फ्रांस को नाराज़ कर दिया है. यूरोपीय संघ के जिन नेताओं को ये उम्मीद थी कि जो बाइडन अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति में बदलाव लाएंगे, उन्हें अब झटका लगा है.
हालांकि, बहुत कम अमेरिकी मतदाताओं को अमेरिका-फ्रांस संबंधों की मजबूती से फर्क पड़ता है. लेकिन, आने वाले समय में इसके प्रभावों के लेकर विवाद ज़रूर हो सकता है. बाइडन प्रशासन आगामी वैश्विक जलवायु सम्मेलन में यूरोप के सहयोग की उम्मीद कर रहा है और अमेरिकी मतदताओं (खासतौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक) के लिए पर्यावरण बेहद अहम मसला है.
इस हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठकों के दौरान रुठों को मनाने के लिए जो बाइडन को काफी तैयारी करने की ज़रूरत है. वैक्सीन लगवा चुके यूरोपीय यात्रियों के लिए नवंबर में अपनी सीमाएं खोलना अमेरिकी सौगातों की शुरुआत हो सकती है.