धर्म कर्म
आज परम पुज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने सभी भक्तजनों को करवा चौथ की शुभकामनाएं देते हुए कथा में यह बताएं कि गिरने से महत्वपूर्ण है, जैसे जटायु गिरते हैं भगवान राम उठाते हैं और संपाती गिरते हैं संत उठाते हैं लेकिन लक्ष्मण जी को सीधे हनुमान जी उठाकर भगवान राम की गोद में पहुंचा देते है। लक्ष्मण जी को संत और भगवान दोनों की गोद प्राप्त होती है इसलिए वह परम सौभाग्यशाली हैं । अहोभाग्य लक्ष्मण बड़भागी…भरत जी कहते हैं कि लक्ष्मण परम सौभाग्यशाली है जिसे हनुमान जी और श्रीराम दोनों के गोद प्राप्त होती है । गिरे भी तो इस तरह गिरे सीधा भगवान की गोद में गुरु के श्री चरणों में पहुंचे।
एक मात्र अहंकार जाग जाए तो सब प्रकार के गुणों को समाप्त करने के लिए पर्याप्त होता है….कुंभकरण जब जाग जाते हैं तब बिना किसी सैनिक के अकेले ही रणभूमि में आ जाते हैं, लंका की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि वहां का अहंकार सोया हुआ है अर्थात कुंभकरण सिर्फ एक दिन जगता है बाकी दिन सोया हुआ होता है । आज समाज में अहंकार पूरे दिन जगे रहते हैं अहंकार को बड़े यतन के साथ कई प्रकार की यतन के साथ जगाना पड़ रहा है, हम सब के पास भी कई प्रकार के अहंकार हैं अहंकार के सहस्र रूप बताया गया है , भागवत में कालिया नाग को अहंकार का प्रतीक बताया गया है जिसके सहस्र फण है, मनुष्य को भी कई प्रकार से अहंकार होते हैं लेकिन कई प्रकार से यतन करके उसे संत के चरणों में रख दे सामने रख दे और मिटाने के लिए तैयार हो जाए तो जरूर मिट जाते हैं, हम किसके पास गिरते हैं यह महत्वपूर्ण होता है ।
जब अहंकार जग जाता है तो उसे घर, परिवार, रिश्ते दारी ,भगवान कुछ भी दिखाई नहीं देता है, विभीषण को भी कुम्भकर्ण को अपना परिचय देना पड़ता है, कुंभकरण का कान बहुत बड़ा कुंभ के समान है जिसमें अपना प्रशंशा सुनते ही अहंकार जग जाते हैं कान को कुंभ के समान बताया गया मनुष्य भी अपनी प्रशंसा में ही डूबा रहता है और अहंकार जग जाते हैं जबकि हमें दूसरों की प्रशंसा करनी चाहिए और स्वयं की बुराई सुननी चाहिए ।
आज मनुष्य स्वयं की प्रशंसा सुनकर ही प्रसन्न होते हैं और दूसरों की निंदा करके प्रसन्न होते हैं । स्वयं की प्रशंसा के लिए कुछ भी कर लेते हैं । जब शेर सामने हो तो स्वयं को मरा हुआ बना ले शेर शिकार नहीं करता वापस चला जाता है मरा हुआ समझकर । उसी तरह जब अपने से कोई ज्यादा शक्तिशाली हो उस समय स्वयं को शक्तिहीन बना ले, यह सुग्रीव ने किया कुंभकरण के पास । हम सब को यह प्रेरणा देते हैं कि अवसर देखकर किसी कार्य को छोटा या बड़ा रूप में करना चाहिए ।
श्रीमती कल्पना शुक्ला















