बर्लिन
अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने की होड़ में अब जर्मनी भी कूद पड़ा है। जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने मंगलवार को एक ऐसे कंप्यूटर का उद्घाटन किया, जिसमें सब-एटोमिक पार्टिकल्स (कणों) का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वजह से माइक्रो सेकंड्स के भीतर करोड़ों गणनाएं करना संभव हो जाएगा। इस मौके पर मैर्केल ने कहा- ‘जहां तक क्वांटम टेक्नोलोजी में रिसर्च का सवाल है, जर्मनी दुनिया में सर्वोत्तम है। हमारा मकसद दुनिया के सर्वोत्तम देशों में एक बने रहना है।’
मैर्केल ने माना कि इस समय इस क्षेत्र में तीखी होड़ चल रही है। इसके बीच जर्मनी का मकसद यह है कि इसमें उसका महत्त्वपूर्ण स्थान बना रहे। जानकारों के मुताबिक दुनिया के सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर बनाने की होड़ में फिलहाल अमेरिका और चीन सबसे आगे हैं। वैसे क्वांटम टेक्नलॉजी अभी नवजात अवस्था में ही है, लेकिन अभी ही इससे वैसी गणनाएं रिकॉर्ड रफ्तार से की जाने लगी हैं, जिन्हें पहले असंभव माना जाता था।
विशेषज्ञों के मुताबिक परंपरागत कंप्यूटर सूचनाओं की प्रोसेसिंग बिट्स में करते हैं। ये प्रोसेसिंग 1 और 0 की बाइनरी में की जाती हैं। जबकि क्वांटम कंप्यूटिंग के तहत 1 और 0 के बिट्स की प्रोसेसिंग एक साथ ही कर दी जाती है। क्वांटम बिट्स को अब क्यूबिट्स नाम दिया गया है। इससे गणना बेहद तीव्र गति से हो रही है। जर्मनी के जानकारों ने कहा है कि इस तकनीक से आर्थिक विकास की वैसी संभावनाएं खुलेंगी, जैसी पहले संभव नहीं थी। साथ ही इससे बेहद परिष्कृत इन्क्रिप्शन को खोलना भी संभव हो जाएगा।
लेकिन जानकारों का कहना है कि यूरोप में ऐसी कंपनियों की कमी है, जो क्वांटम कंप्यूटिंग में महारत रखती हों। इसलिए यहां अमेरिकी कंपनी आईबीएम की मदद ली गई है, जो इस तकनीक के लिए कंप्यूटर और क्लाउड दोनों सुविधाएं मुहैया करा रहा है। गौरतलब है कि पिछले साल जर्मनी ने क्वांटम तकनीक में दो अरब यूरो के निवेश का एलान किया था। साथ ही वह चाहता है कि यूरोपीय आयोग इस क्षेत्र में एक अरब यूरो का निवेश करे। लेकिन अंगेला मैर्केल ने ये माना कि अभी इस मामले में यूरोप पिछड़ा हुआ है।
मैर्केल ने कहा- ‘तकनीकी और डिजिटल संप्रभुता हासिल करने के हमारे प्रयासों में क्वांटम कंप्यूटिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। लेकिन इस मामले में हम अकेले नहीं हैं, जिसने इस बात को समझा हो। अमेरिका और चीन पहले ही इस क्षेत्र में बहुत बड़ा निवेश कर चुके हैँ।’
जानकारों की राय है कि फिलहाल दुनिया के सबसे शक्तिशाली क्वांटम कंप्यूटर अमेरिका और चीन के पास ही हैं। चीन की सरकार हर साल क्वांटम रिसर्च पर ढाई अरब डॉलर खर्च कर रही है। उधर 2018 में अमेरिका ने राष्ट्रीय क्वांटम पहल अधिनियम पारित किया था, जिसके तहत 1.2 अरब डॉलर का बजट मंजूर किया गया। 2021 के बजट में इसके लिए लगभग 24 करोड़ डॉलर रखे गए हैं। चीन में प्राइवेट कंपनी अलीबाबा ने भी इस क्षेत्र में भारी निवेश किया है। अमेरिका में आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट कंपनियां इस क्षेत्र काफी रकम लगा चुकी हैं।