नई दिल्ली
अमेरिका ने कोरोना महामारी को देखते हुए पेटेंट हटाने को लेकर अपनी सहमति जताई है। इसके साथ ही दुनिया में वैक्सीन की कमी से जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद जगी है। इसके साथ ही यह भी तय है कि पेटेंट हटा तो दुनियाभर में टीके की कमी दूरी हो जाएगी। हालांकि अमीर देश पेटेंट हटाने के पक्ष में नहीं हैं। वहीं, भारत समेत दुनिया के कई देशों ने इसका समर्थन किया है।
क्या है वैक्सीन पेटेंट
आमतौर पर पेटेंट एक कानूनी अधिकार है। यह किसी भी तकनीक, खोज, सेवा या डिजाइन को बनाने वाली कंपनी, संस्था या व्यक्ति को दिया जाता है, जिससे कि उसके उत्पाद का कोई नकल न कर सके। बिना अनुमति के अगर कोई कंपनी किसी उत्पाद को बनाने लगे तो वह गैरकानूनी होगा। इसके साथ ही उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे होगा फायदा
विश्व में फिलहाल कोरोना के जितने भी टीके बन रहे हैं उन सभी कंपनियों के उस टीके का पेटेंट है। इसके साथ ही वैक्सीन का उत्पादन केवल वही कंपनी कर सकती है। ऐसे में अगर वैक्सीन पर से पेटेंट हटाया जाता है तो वैक्सीन को बनाने की तकनीक दूसरी कंपनियों को भी मिल जाएगी। इससे टीके की कमी दूर होगी और उसकी कीमत भी कम होगी।
सिर्फ कोरोना के लिए छूट
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने कहा है कि जो बाइडन प्रशासन बौद्धिक संपदा की सुरक्षा का समर्थन करता है, लेकिन वैक्सीन पेटेंट में छूट सिर्फ कोरोना वायरस महामारी के खात्मे तक ही दी जाएगी। उन्होंने कहा, यह वैश्विक स्वास्थ्य संकट है। कोविड-19 की विपरीत परिस्थितियां बड़ी पहल करने के लिए बाध्य कर रही हैं।
भारत समेत कई देश समर्थन में
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल अक्तूबर में विश्व व्यापार संगठन से वैक्सीन पर से पेटेंट हटाने की मांग की थी। बता दें कि भारत और दक्षिण अफ्रीका की इस मांग को फिलहाल 100 से ज्यादा देशों ने समर्थन किया है। सबसे बड़ी बात अमेरिका ने भी इस पहल का समर्थन किया है। हालांकि बता दें कि पहले अमेरिका इसके विरोध में था।