क्या देश को फिर लॉकडाउन की जरूरत?  

 नई दिल्ली 
कोरोना वायरस की उत्पत्ति वाले चीन में अब संक्रमण की गति बिल्कुल मंद पड़ चुकी है फिर भी यहां बेहद कड़े प्रतिबंध लागू हैं। दूसरी ओर, भारत इस वक्त दूसरी लहर के कहर से जूझ रहा है पर यहां लागू प्रतिबंध चीन के मुकाबले कम कड़े हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्लोबल स्ट्रिंगरेंसी इंडेक्स के माध्यम से यह जानकारी मिली है। यह सूचकांक अलग-अलग देशों में संक्रमण से निपटने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों की स्थिति को दर्शाता है। फिलहाल, भारत में कोरोना की भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां अब हर दिन करीब औसतन चार लाख मामले सामने आ रहे हैं।

चीन ने लगातार जारी रखी कड़ी पाबंदी
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्लोबल स्ट्रिंगरेंसी इंडेक्स के हिसाब से चीन में इस वक्त सौ प्रतिशत में से 78.24 प्रतिशत सख्तियां लागू हैं। चीन में लगाई गईं पाबंदियों का ग्राफ देखने पर पता लगता है कि यहां जनवरी 2020 से लेकर आजतक औसतन 75% सूचकांक के प्रतिबंध लागू हैं। जबकि चीन में संक्रमण की स्थिति में मार्च-2020 के बाद से ही सुधार आने लगा था। अब चीन में हर दिन औसतन पांच नए मरीज ही मिल रहे हैं। हालांकि बीच-बीच में चीन के कुछ क्षेत्रों में संक्रमण का विस्फोट होता रहा है, जिस पर चीन ने बिना समय गंवाए कड़े प्रतिबंध लगाकर काबू पा लिया। इतना ही नहीं, चीन ने 81% सूचकांक वाले बेहद कड़े प्रतिबंध पिछले साल चार बार फरवरी, मई, सितंबर और नवंबर में लगाए थे। 

भारत में पाबंदियां 74 फीसदी कठोर 
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्लोबल स्ट्रिंगरेंसी इंडेक्स के मुताबिक, वर्तमान में भारत में लागू प्रतिबंधों की कठोरता 73.61% है। प्रतिबंधों की कठोरता का यह स्तर 19 अप्रैल से बना हुआ है। इससे पहले 10 मार्च से लेकर 2 अप्रैल तक देश में संक्रमण से निपटने के लिए लागू प्रतिबंधों में जबरदस्त ढील दी गई थी, तब प्रतिबंधों की कठोरता का स्तर 57.87% था जो कि पिछले साल 25 मार्च को लागू हुई तालाबंदी के बाद से अब तक का सबसे निचला स्तर है। यह दर्शाता है कि 15 फरवरी से संक्रमण की दर बढ़ने के बावजूद देश में मार्च के महीने में आवश्यक पाबंदियां नहीं लगायी गईं।