केंद्र संरक्षित स्मारकों पर पूजा, अराधना की अनुमति पर विचार कर सकता है एएसआई : समिति

नयी दिल्ली, (भाषा)

संसद की एक समिति ने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, धार्मिक महत्व के ऐतिहासिक केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों पर पूजा/अराधना/कतिपय धार्मिक गतिविधियां को करने की अनुमति देने की संभावनाओं पर विचार कर सकता है। समिति ने कहा है कि बशर्ते इनसे (धार्मिक गतिविधियों से) स्मारक के संरक्षण की स्थिति पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़े।

लोकसभा के हाल ही में सम्पन्न शीतकालीन सत्र में पेश ‘‘ अप्राप्य स्मारकों और भारत में स्मारकों के संरक्षण से संबंधित मुद्दे’’ विषय पर परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति महसूस करती है कि देशभर में कई ऐतिहासिक स्मारक बड़ी संख्या में लोगों के लिये अत्यधिक धार्मिक महत्व रखते हैं, ऐसे स्मारकों पर पूजा/अराधना/कतिपय धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने से लोगों की सच्ची आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है।

समिति ने अपनी सिफारिश में कहा, ‘‘ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) धार्मिक महत्व के ऐतिहासिक केंद्रीय संरक्षित स्मारकों पर पूजा/अराधना/कतिपय धार्मिक गतिविधियों को करने की अनुमति देने की संभावनाओं पर विचार कर सकता है, बशर्ते यह सिद्ध हो सके कि ऐसे कार्यकलापों से स्मारक के संरक्षण की स्थिति पर कोई हानिकारक प्रभाव न पड़े।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय ने अपने लिखित उत्तर में समिति को सूचित किया कि परंपरा और कैबिनेट द्वारा पिछले अवसरों पर लिये गए निर्णयों के अनुसार, उन स्मारकों में धार्मिक अनुष्ठानों की अनुमति नहीं है जिनका उनके संरक्षण के समय धार्मिक उपयोग नहीं होता था।

संसदीय समिति ने यह भी कहा कि देश में बड़ी संख्या में तस्करी की गई प्राचीन वस्तुओं की तुलना में प्राप्त पुरावशेषों की संख्या नगण्य है। तस्करी के लिये प्राचीन वस्तुओं को निशाना बनाने का एक कारण यह भी है कि देश के विभिन्न हिस्सों में प्राचीन वस्तुओं के डेटाबेस की कमी है।

इसमें कहा गया है कि लगभग एक दशक पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा इंगित किए जाने के बाद भी इस खामी को दूर नहीं किया गया।

समिति ने सिफारिश की है कि एएसआई और मंत्रालय पुरावशेषों की चोरी होते ही तत्काल समाचार पत्रों में विज्ञापन आदि के माध्यम से इसका व्यापक प्रचार प्रसार करे।

समिति ने कहा है कि वह इस बात से चिंतित है कि केंद्रीय रूप से संरक्षित 3693 स्मारकों में से केवल 248 केंद्र संरक्षित स्मारकों/स्थलों/संग्रहालयों पर ही सुरक्षा गार्ड तैनात है जो कुल संख्या का लगभग 6.7 प्रतिशत है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति का कहना है कि ‘हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराने में बजटीय बाध्यताओं को बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए । वर्तमान सरकार का यह उत्तरदायित्व है कि वह हमारे सांस्कृतिक विरासत स्थलों का संरक्षण करे।’’

भाषा दीपक पवनेश

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