भिलाई
छ.ग. विज्ञान सभा एवं मध्यप्रदेश विज्ञान सभा ने संयुक्त रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी तथा मशीन लर्निंग के बाजार के लिए भारत की तैयारी विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया जिसके मुख्य वक्ता बी. के. लाल एवं आदित्य सिंह रहे। कार्यक्रम की शुरूआत अजय भोई ने की, कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वास मेश्राम के द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ विकास सुखदेवे प्राचार्य पॉलिटेक्निक गरियाबंद द्वारा किया गया।
कार्यक्रम मुख्य रूप से मशीन लर्निंग पर आधारित है इसका मुख्य आधार डाटा विज्ञान ही है बिना डाटा विज्ञान के मशीन लर्निंग का कोई आधार नहीं है। हर देश तकनीक के विकास में अग्रसर है जिस देश के पास अच्छी तकनीक है उन देशों का विकास अच्छी तरह से हो रहा है। हर देश को अपनी तकनीक के लिए जाना जाना चाहिए ना कि उसकी सैन्य शक्ति की प्रबलता पर। बहुत सी कंपनियां कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीक का उपयोग करके आगे बढ़ रही हैं। इसका मुख्य उद्देश्य किसी कंपनी के लाभ को बढ़ाना और हानि को कम करना है।
स्टेट रिसोर्स पर्सन तथा मोटिवेटर बी के लाल ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं मानव मस्तिष्क की तुलना की। उन्होंने कहा कि सबसे जटिल मानव मस्तिष्क है जो हमेशा क्रियाशील रहता है। जिसने अपना विकास निरंतर किया और स्वयं कमजोर होने पर भी आज दूसरे जीवो पर नियंत्रण किए हुए है। जितनी भी कहानियां हम देखते हैं वह वास्तव में मानव मस्तिष्क की कल्पना है और वह कल्पना ही है जो नई नई खोज के लिए आधार होती हैं। ऐसी ही एक खोज है कृत्रिम बुद्धिमता। कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा मशीनों में बौद्धिक क्षमता का विकास करने का प्रयास किया जाता है एवं उस लायक बनाया जाता है जिससे मशीनें बिना आदेश के परिस्थितियों के अनुसार खुद काम कर सकें। सर्वप्रथम जॉन मैकॉर्ड ने 1956 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता शब्द का उपयोग किया। इसके बहुत सारे उदाहरण आज हमको देखने को मिलते हैं। यह हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए विभिन्न कंपनियों द्वारा बनाई गई डिवाइस जैसे सिरी, कोरटाना गूगल सर्च, अलेक्शा और विभिन्न ट्रांसलेटर इसका उदाहरण है। आज के युग में हर देश इस क्षेत्र में आगे बढ?े की कोशिश कर रहा है। आज ओवरआल मार्केटिंग और नेटवर्थ में देखें तो भारत इस क्षेत्र में नवें स्थान पर है पर रिसर्च के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता में भारत का तीसरा स्थान है। भारत तेजी से इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और आने वाले समय में और कई देश भी यहां प्रतिभागी होंगे। भारत के चिकित्सा पद्धति बहुत अच्छी और सस्ती मानी जाती है। यहां यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जाए तो कोविड-19 जैसे बीमारियों से होने वाले मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
दूसरे मुख्य वक्ता आदित्य सिंह ने विस्तारपूर्वक मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी के बारे में बताया। मशीन लर्निंग एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा मशीनों को प्रोग्रामिंग के जरिए बहुत सारी चीजें बताइ व समझाई जाती हैं कि कौन सी चीज क्या है उसका कार्य क्या है। मशीन लर्निंग कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी कंप्यूटर प्रोग्राम को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वह प्रोग्राम खुद से नई नई चीजों को सीख सकें और जरूरत पड?े पर खुद से कोई डिसीजन ले सके। कम्प्यूटर फील्ड की इसी तकनीक को मशीन लर्निंग कहा जाता है.
चूंकि मशीन लर्निंग का अर्थ ही होता है मशीन को सीखना या मशीन सीख रहा है. इसमें किसी भी एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर को इस तरीके से डेवलप किया जाता है कि उसके प्रोग्राम में बिना किसी तरह का हस्तक्षेप किए हुए नई चीजों को सीख सकता है और समय आने पर उस डाटा से जुड़ी जानकारी अनुमान लगा सकता है या परिणाम दे सकता है. मशीन लर्निंग तीन प्रकार की होती है तथा तीनों का उपयोग अलग- अलग क्षेत्र में किया जाता है। मशीन लर्निंग एल्गोरिथ्म को डाटा देकर एक मॉडल बनाया जाता है और इस एल्गोरिथ्म में जब कोई नया इनपुट आता है तो उसी बनाए गए मॉडल के अनुसार आउटपुट को प्रोवाइड करता है।
इसको समझने के लिए आप स्पॉटिफाई का उदाहरण ले सकते है क्योंकि जिसमें अगर आप किसी विशेष प्रकार के संगीत एवं उससे जुड़ी चीजों को सर्च करते है या सुनते हैं तो उसी के अनुसार आपको आपके चुनाव के हिसाब से संगीत दिखाता है। यही कृतिम बुद्धिमत्ता एवं मशीन लर्निंग की विशेषता है जो हमारी पसंद से जुड़ी विभिन्न आॅप्शंस के जरिए हमें सुझाव देता है। विभिन्न प्रतिभागी नंदकुमार चक्रधारी पवन दीक्षित सुरेश गुप्ता स्नेह लता आदि ने अपनी जिज्ञासा एवं प्रश्न मुख्य वक्ताओं के सामने रखें जिनका जवाब दोनों ही मुख्य वक्ताओं ने दीया। कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी पर बोलते हुए मध्यप्रदेश विज्ञान सभा के महासचिव एस आर आजाद ने बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को जानने के लिए हमारे देश में बहुत ही कम संसाधन उपलब्ध है। हमारे युवा वर्ग को शिक्षित करने के लिए नए-नए इंस्टिट्यूशन खोलने की आवश्यकता है जिससे युवा वर्ग इस तकनीक से भलीभांति परिचित हो पाए। तभी हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग बेहतर टूल के रूप में कर पाएंगे। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि आम आदमी की जिंदगी को इस से फायदा हो उनकी जिंदगी और बेहतर बने इसके लिए और नीतियां बनाने की आवश्यकता है।