किताब के गोठ….क़िताब समीक्षा…”मोहन कुमार निषाद” द्वारा

क़िताब समीक्षा 

मोर हाथ म टिकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला” गुरूजी गब्दी वाले मन के किताब “पहलाजी चोर” जेमा उंकर छत्तीसगढ़ी कहिनी मन के संग्रह हवै , सिन्हा गुरूजी मन के ये किताब मा एक कोरी छत्तीसगढ़ी कहिनी मन के सुग्घर संग्रह हें । जउन किताब म लेखक सिन्हा गुरूजी मन के अपन कहिनी लेखन म बउरे उंकर ठेठ भाषा शैली के संग सुग्घर हाँसी ठिठोली मन बड़ मनभावन हें ।
वोमन पात्र मन के बीच मा जउन संवाद लिखें हे वो संवाद मन हर अन्तस् ला छूवत , कहिनी के संवाद संग ओ पात्र मन के चरित्र के चित्रण अइसे करथें मानो ओमन आंखी आंखी म ही झुलत हों ।

WhatsApp Image 2021 09 24 at 12.50.15 PMसिन्हा गुरूजी मन के ये किताब म हमर गाँव घर अउ परिवार के भावपूर्ण चित्रण संग हमर पूरा ग्रामीण परिवेश रहन सहन अउ हमर बीच ले नंदावत कुछ अइसन ठेठ बोली भाखा के सुग्घर समायोजन हे जउन गाँव मा लोगन मन के आम बोल चाल म बहुत कम बोले अउ सुने मा प्रयोग करे जाथें । संगे संग कुछ आंचलिक बोली भाखा मनके समावेश घलो हमन ला उंकर पूरा कहिनी मा पढ़े बर मिलथें । उंकर पहलीच के कहिनी “मया पिरित” ह भाई बहिनी के मया दुलार ले भरे राखी तिहार ऊपर हवय , जउन कहिनी म कवि सिन्हा गुरूजी मन के लेखनी ले निकले बेटी माई बहिनी मन के अपन मइके के प्रति जउन लगाव अउ एक भाई बहिनी के बीच के पबरित प्रेम के मार्मिक मनभावन चित्रण के प्रभाव हा देखते ही बनत हवै ।

उंकर दूसर कहिनी हे “सदनोहरा” जउन म हमर समाज के गरीब दाई ददा मन अपन गरीबी परिस्थिति होय के बावजूद अपन एक लउता बेटा ला कइसे पढ़े बर सहर भेजथे के बड़ सुग्घर चित्रण करे हवै हमर आज के समाज ला शिक्षा के संदेश देवत । उंकर कहिनी “प्रदीप मानगे” म हमर समाज म होवत बर बिहाव ला लेके लोगन मन के नानकीन सोंच जउन अमीरी गरीबी अउ कम पढ़े लिखें जादा पढ़े लिखें जइसन शब्द ला जन्म देथे , अइसन लोगन मन के छोटे सोच ऊपर सुग्घर संदेशात्मक प्रहार हें खासकर हमर अभी के नवा पीढ़ी के लइका मन बर ।

“मोला कभू झन पति मिलै” ये कहिनी म आदरणीय सिन्हा गुरूजी मन आज वर्तमान म हमर समाज के लोगन मन के जउन दसा अउ दिसा हें , आज शराब के नशा ले परिवार अउ समाज के लोगन मन के होवत विनास के सुग्घर मार्मिक चित्रण करे हावय जेमा उंकर मनके लेखन क्षमता अउ कुशलता के सुग्घर परिचय मिलत हावय । अइसने ही उंकर ये पूरा कहिनी संग्रह “पहलाजी चोर” मा हमर समाज के लोगन मन के छोटे सोंच तो कतकोन बने मनखे मन के बड़का सोंच के बड़ सुग्घर अउ मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करे गे हावय । ये कहिनी के संग्रह ला पढ़त पढ़त आपला कोनो मेर अइसे नइ लागय कि मँय बोर होवत हँव पढ़त पढ़त कहिके ।

ये कहिनी संग्रह के लेखन म हमर कहानीकार कवि के ये बड़का खासियत हे कि उन मन अपन बड़े ले बड़े कहिनी मन ला अतेक सुग्घर भाव ले पिरो के लिखें हावयँ कि पढ़ते पढ़त मन मा अपने अपन कहिनी के आघू मा का होवइया हे तेला जाने के उत्सुकता जागथे । उंकर ये किताब के जम्मो कहिनी मन म हमर समाज के तीज तिहार परब अउ घर परिवार सगा सोदर , ले लेके गाय गरुवा मन के प्रति प्रेम व्यवहार के सुग्घर मार्मिक चित्रण हे उंकर कहिनी “गरुवा के सुध” मा देखे बर मिलथे । स्कुल के उन्मुखीकरन म समाज सेवा बर जागरूकता के सुग्घर सन्देश संग रतन रफीक के दोस्ताना ले भरे बड़ सुग्घर जात धर्म के भेदभाव ला मिटावत भाईचारा के शानदार चित्रण करें हावय ।

ओइसने हें “सेत के जँवारा ” कहिनी मा हमर समाज मा व्याप्त बलिप्रथा जइसन कुप्रथा के ऊपर लोगन मन ला जागरूक करत सुग्घर संदेश देवत कहिनी मन के संग्रह हें “पहलाजी चोर” । ये संग्रह मा मया – पिरित ले लेके : – नियाव , लेड़गा , अबोला , बड़े थारी , पहलाजी चोर , जमुना के जल , ले लेके समय न होत एक समान , तिजहारिन , तिरंगा के नीचे खड़े हँव , नवा बिहान अउ साढ़े तीन हाथ जमीन के संग इंदरमन के काठी । अइसे कोन्हों कहिनी नइये जउन मा समाज ला कवि हा कोन्हों प्रकार के संदेश नइ दे होही ।

ये संग्रह के सबो कहिनी मन सब एक ले बढ़के एक हें , एक अउ जिनिस हमर नंदावत जुन्ना ठेठ बोली भाखा के शब्द मन के सुग्घर प्रयोग देखे बर हमला मिलिस जिंखर मन के उपयोग हमर आम बोलचाल मा आज नही के बरोबर करे जाथें । आदरणीय सिन्हा गुरूजी मन के ये किताब हा हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य ला पोठ अउ समृद्ध करे मा अपन भूमिका जरूर निभाही।

-:समीक्षक
मोहन कुमार निषाद”मयारू”