कवि राजेश जैन ‘राही’ ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद होने वाली हिंसा पर इन शब्दों से जताया अपना विरोध।

 

जीत उनकी है भला किस काम की,
सुध नहीं उनको अगर इलहाम की।

हार कर बैठे रहे वह चुप अगर,
भोर कैसे हो नये परिणाम की।

बस्तियाँ जलने लगीं हैं शाम से,
रहनुमा को फिक्र है आराम की।

सीढियाँ चढ़ने लगे वो जीतकर,
नीतियाँ ढहने लगीं इकराम की।

है वही शासक सफल भगवान सा,
ख़ैरियत रखता सदा जो आम की।

..राजेश जैन ‘राही’, रायपुर