एमएसएमई उद्यमीयों एवम जीएसटी समस्या के निवारणार्थ लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधि मंडल ने वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से की मुलाकात

लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष पुरोश्त्म्म पटेल, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, के एस बेदी, उमेश चितलंगाग्या, इकाई अध्यक्ष संजय चौबे, कार्यलय प्रभारी दुर्गा प्रसाद, मनीष भुचासिया, केस केंबो, श्रीकांत खेडेया, ने बताया कि लघु उद्योग भारती का एक शिष्टमण्डल राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बलदेवभाई प्रजापति एवं उपाध्यक्ष ताराचन्द गोयल के नेतृत्व मे दिल्ली मे संसदीय कार्यालय मे श्रीमती निर्मला सीतारमण माननीय वित्तमंत्री से भेंट कर एमएसएमई सेक्टर के सामने जीएसटी व बैंको को लेकर आ रही समस्याओं से अवगत करवाया।  लघु उधोग भारती के संजय चौबे ने बताया की जीएसटी से संबंधित समस्याओं के बारे मे जानकारी देते हुए माननीय वित्तमंत्री को बताया गया कि सरकार ने एक राष्ट्र एक कर की अवधारणा का ध्येय रखते हुए जीएसटी एक्ट लागू किया था। जीएसटी मे उस समय प्रचलित वाणिज्य कर, वैट, एक्साईज, सर्विस टैक्स आदि को समाहित कर एक राष्ट्र एक कर की घोषणा की गयी थी। संजय चौबे ने बताया की एक कर की अवधारणा को भूलते हुए जीएसटी को तीन करो मे विभक्त कर दिया है जैसे एसजीएसटी,सीजीएसटी, एवं आईजीएसटी भी लगाया, सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि इनमे उपलब्ध प्दचनज ब्तमकपज एक दूसरे मे समायोजित नही हो सकती है। एक मे जीएसटी का क्रेडिट बैलंस है लेकिन दूसरे मे अगर कर दायित्व बनता है तो क्रेडिट बैंलेस चाहे कितना ही हो देय कर को जमा करवाना पड़ता है। सुविधा के लिये अगर व्यापारी केवल जीएसटी का चार्ज करे, विभाग/सरकार बिल मे क्रेता के जीएसटी न. कोड के अनुसार एसजीएसटी,सीजीएसटी, एवं आईजीएसटी मे विभाजित कर ले। इससे व्यापारी को अधिकंाश समस्याओं से निजात मिल जायेगी। इसी कड़ी में संजय चौबे ने बताया की नेत्रत्व द्वारा मंत्री महोदय को बताया गया की मासिक रिटर्न व त्रैमासिक रिटर्न से इनपुट क्रेडिट मे बहुत समस्या आती है सभी प्रकार की रिटर्न की सभी व्यापारियो के लिये समय सीमा एक जैसी होनी चाहिये। अपीलेन्ट ट्रिब्यूनल का गठन किया जाये, जिससे बार बार उच्च न्यायालय नही जाना पड़े । जीएसटी एक्ट बनने के बाद जीएसटी मे सैकड़ो संशोधन किये गये है, लेकिन उद्यमियों को संशोधन की ईजाजत नही है या फीस के साथ संशोधन की ईजाजत है। एक समय सीमा मे संशोधन उद्यमी कर सके, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। कोई उद्यमी किसी कांरणवंश जीएसटी रिटर्न समय पर दाखिला नही कर पाता है तो वह उद्यमी सिस्टम के कारण ई-वे बिल जारी नही कर पायेगा व उसका विक्रेता भी उसको ई वे बिल जारी नही कर पायेगा। इससे वो व्यापारी न तो अपना माल बेच पायेगा न ही खरीद पायेगा ।

किसी कारणवंश व्यापारी द्वारा समय पर प्रस्तुत नही किया जाता है तो नियमों के तहत् उसका जीएसटी नं. फ्रीज हो जाता है जिसको पुन चालू करने मे बहुत दिक्कत आती है। राजस्थान के सोजत क्षेत्र मे मेंहदी की पैदावार बहुतायत से होती है। मेहदी पाउडर से बनने वाला पेस्ट का उपयोग ब्याह-शादी व मांगलिक कार्यों के लिये किया जाता है। ये मेहदी एग्रो प्रोडक्ट है। इसी मेहदी पाउडर मे कुछ कैमिकल मिलाकर व उद्योगों मे प्रोसेस कर जो पेस्ट बनाया जाता है वो बालो को रंगने मे काम आता है। सरकार ने भूलवश दोनो प्रोडक्ट को एक ही श्रेणी मे परिभाषित कर दिया है। हमारा निवेदन है कि मेहदी पाउडर, मेहदी पाउडर पेस्ट व मेहदी कोन इन तीनो को कृषि उत्पाद मनाते हुए जीएसटी से मुक्त किया जाये।

इसी प्रकार बैंकों से संबंधित समस्या की जानकारी देते हुए प्रतिनिधिमण्डल ने माननीय वित्तमंत्री को बताया कि वर्तमान मे सभी बैंको की ब्याज दरे अलग अलग है अगर कोई उद्यमी ब्याज का फायदा लेने के लिये या किसी अन्य विवशतावश बैंक बदलना चाहता है तो उसे वर्तमान बैंक से अनापति प्रमाण पत्र लेने के लिये भारी प्रीमियम जो लाखो मे होता है चुकाना पड़ता है, जिस कारण मजबूरी वश उद्यमी बैंक बदल नही पाता है और उसे शोषण का शिकार होना पड़ता है। रिजर्व बैंक के माध्यम से इस व्यवस्था पर पुनर्विचार करने की अति आवश्यकता है।

एमएसएमई मंत्रालय द्वारा एमएमएमई से संबंधित बैंक ऋण के बारे मे कई प्रकार की रियायते दी गयी है लेकिन सभी बैंक रिजर्व बैक द्वारा जारी दिशा निर्देशों को ही मानते है। एमएसएमई मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों की आरबीआई के माध्यम से सभी बैंको पर बाध्यता होनी चाहिए।

रिजर्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार एक से अधिक बैंकों मे खातों के संचालन पर रोक लगायी गयी है। इसी प्रकार अगर एक बैंक से ऋण लिया जाता है तो अन्य बैंक मे चालू खाता नही खोल सकते है। हमारा निवेदन है कि बहुत सी बैंकों की शाखा मे निर्यात डाॅक्यूमेन्ट प्रोसेस करने की सुविधा नही होने से निर्यात डाॅक्यूमेन्ट के लिये दूसरी शाखा मे खाता खोलना पड़ता है।

कोरोना के कारण वर्ष 2019-20 के मुकाबले 2020-21 का टर्न ओवर कम होता है तो बैंक ऋण सीमा कम नही करे। वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2020-21 मे मुनाफा कम होता है तो बैंक ऋण सीमा पर पैनल्टी/ब्याज नही लगाया जाये। कोविड-19 के कारण बनी विपरीत परिस्थितियों के कारण उद्योगों की क्रेडिग रंेटिग भी प्रभावित हुई है। जिस कारण बैंक उँची ब्याज दर लगा रहे है। हमारा निवेदन है कि 1 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 तक की समय सीमा मे क्रेडिट रेटिग के नियमों मे छूट दी जानी चाहिए।

माननीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने लघु उद्योग भारती प्रतिनिधिमण्डल की सभी बातों को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद संबंधित अधिकारियो को इन सभी विषयो पर एक नोट बनाकर प्रस्तुत करने के आदेश देकर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश जारी किये। प्रतिनिधिमण्डल मे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश मित्तल एवं जीएसटी कौंसिल के सदस्य एवं सलाहकार अपित मितल उपस्थित थे।