वैसे पंकज त्रिपाठी को फैंस व इंडस्ट्री वालों से बेशुमार प्यार व तारीफें मिलती रहती हैं. लेकिन एक ऐसी तारीफ है जिसे पंकज के भुलाए नहीं भूलतीं. आज पंकज त्रिपाठी को फिल्म इंडस्ट्री में आए हुए लगभग 15 साल हो गए हैं लेकिन उनके स्ट्रगल के दिनों में उनका हौसला बढ़ाने वाले चंद लोगों की तारीफें उनके जेहन में अब भी तरोताजा हैं.
पिछले दिनों आजतक से बातचीत के दौरान पंकज ने बताया कि उनके पास अवॉर्ड्स की भरमार हैं लेकिन वे कुछ लोगों के कॉम्प्लिमेंट को इन अवॉर्ड्स से ज्यादा मानते हैं. पंकज बताते हैं, आज से कई साल पहले मैंने भावना तलवार संग धरम फिल्म की थी. वो फिल्म के एडिट पर भी बैठी थीं. अचानक एक रात मुझे एडिटर और भावना का मेसेज आया था, आज हम एडिट पर बैठे हैं, तुम्हारा सीन देखकर लग रहा है कि तुम बहुत लंबी रेस का घोड़ा हो. यह आज से 12 साल पहले की बात है. इसके साथ श्रीधर राघवन अक्सर मेरा काम देखने के बाद मुझे मेसेज करते हैं. इसके अलावा मेरे एनएसडी के टीचर राम गोपाल बजाज ने मेरा प्ले देखने के बाद मुझे गले लगाते हुए बोलने लगे कि मैं खुश हूं कि तुम्हें एनएसडी में मैंने चुना था. ऐसे कई मौके रहे हैं, जो आपको जीवन में रिवॉर्ड व अवॉर्ड दे जाते हैं.
पीछे मुड़कर देखता हूं, तो यकीन नहीं होता है
मेरी एक्टिंग को जर्नी को लगभग 12 साल हो गए हैं. पीछे मुड़कर देखता हूं, तो यकीन ही नहीं होता है. एक गांव का लड़का एक्टर बन गया. इन सालों में इतने किस्से होने के बावजूद लगता है कि यह, तो कल की ही बात है. मुंबई आए 16 से 17 साल हुए होंगे लेकिन लगता है कि कल की ही बात है. मैंने स्ट्रगल के दिनों भी कभी हतोस्ताहित भी नहीं हुआ था कभी. ये एक सपनों से भरी यात्रा लगती है, जिसमें समय का एहसास नहीं हुआ. हां, उतार-चढ़ाव, आशा-निराशा, सपने, उम्मीद भरे रहे. वैसे मैं कभी किसी से प्रभावित नहीं हुआ. न ही सफलता को सिर पर चढ़ने दिया है और न ही असफलता को दिल से लगाकर बैठता हूं. यह फिल्मी जर्नी है, जिसका सफर तय करते रहना है.