रायपुर
उत्तराखंड में महज 4 माह में मुख्यमंत्री बदले जाने पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय व रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि भाजपा के पास एक छोटे से राज्य के लिए भी सर्वमान्य चेहरा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 151ए का गलत फायदा उठाकर राज्यों में अयोग्य व्यक्तियों को मुख्यमंत्री बनाकर जनता पर थोप रही है। उत्तराखंड के निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जो निर्वाचन आयोग को मिले उक्त धारा के तहत निर्धारित सीमा अवधि में चुनाव नहीं जीत सकते थे, इसलिए भाजपा ने उन्हें इस्तीफा दिलवाया।
भाजपा अपने आप को विश्व की सबसे बड़ा राजनैतिक पार्टी मानती है जबकि भाजपा की दुर्दशा ये है कि उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य में भी मुख्यमंत्री के योग्य भाजपा का कोई चेहरा नहीं है। राज्य विधानसभा के कार्यकाल का एक साल से भी कम समय बचा हुआ है। ऐसे में तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा दिलवाना भाजपा के कई कमजोरियों को उजागर करता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा बगैर विधानसभा के एक सदस्य को मुख्यमंत्री बनाकर निर्वाचन आयोग को मिले जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 151ए का गलत फायदा उठाकर छ: महिने के भीतर चुनाव न जीत पाने की योग्यता रखने वाले को सिर्फ इसलिए उपकृत करने का प्रयास किया कि उक्त धाराओं का वह गलत फायदा उठा सके।
भाजपा को यह भलीभांति पता था कि तीरथ रावत के चेहरे के भरोसे अगला चुनाव नहीं जीता जा सकता। यहां तक कि वे विधानसभा का उप चुनाव लड़कर भी जीतने की हैसियत नहीं रखते थे। भाजपा निर्वाचन आयोग को मिले धाराओं के अधिकारों का दुरुपयोग कर छ: माह से कम अवधि के लिए मुख्यमंत्री बनाकर उत्तराखंड को प्रयोगशाला के रूप में तब्दील कर दिया है। अन्यथा ऐसी कौन पार्टी है भला जिस राज्य में एक साल से भी कम समय विधानसभा चुनाव के लिए बचे हों। वहां के मुख्यमंत्री जो मात्र 114 दिन अपना कार्यकाल पूर्ण किया हो, को बदलने की सोचेगी। यह भारतीय जनता पार्टी की प्रजातांत्रिक हार है।