रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने शास्त्री चौक रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित प्रकरणों पर जन-सुनवाई आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने की, सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य श्यामला भी उपस्थित थी। आयोग के समक्ष 25 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गए थे,जिसमें 21 में पक्षकार उपस्थित रहे और 5 प्रकरण निराकृत हुए।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में पेशे से डाक्टर पति से कहा है कि वह अपनी पत्नी से गाली-गुफ्तार ना करे। इस प्रकरण मे बिलासपु निवासी डाक्टर अपनी पत्नी को साथ लेकर बिलासपुर मे रहना चाहता है। आवेदिका के बुजुर्ग माता-पिता रायपुर में रहते है और अभी वर्तमान में डाक्टर रायपुर मे कार्यरत है। ऐसे मे आयोग ने व्यवस्था दी और कहा कि जब तक रायपुर मे है पत्नी उनके साथ रहेगी,बिलासपुर जाने की स्थिति मे आवेदिका बिलासपुर जाकर रहेगी, बीच-बीच में वह रायपुर में अपने माता-पिता की देखरेख के लिये आ जा सकेगी। प्रकरण 6 माह की निगरानी में रखा गया है, जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण जेल में निरूद्ध है। आवेदिका ने अपने प्रकरण की सुनवाई फास्टट्रेक में जल्द करवाना चाहती है, चूंकि यह मामला न्यायालय में प्रक्रियाधीन है। इस स्तर पर आयोग में जारी नहीं कर सकता प्रकरण नस्तीबद्ध किया जायेगा परन्तु मानवीय दृष्टिकोण से प्रकरण रायपुर जिला एवं सत्र न्यायाधीश को फास्टट्रेक में रखकर शीघ्र सुनवाई हेतु पत्र प्रेषित किया जायेगा।जिससे इस मामले को निराकृत किया गया।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित आवेदिका विधवा महिला है और अपने ससुर के साथ पुश्तैनी मकान में निवास करती है और अनावेदक जो कि पेशे से वकील है वर्ष 2014 से किरायेदार है। आवेदिका ने अपने विस्तृत आवेदन में छेड़छाड़ और बुरी नजर से संबंधित शिकायत लिखे है। अनावेदक का कहना है कि वह आगामी तिथि पर किरायाशुदा मकान को खाली कर देगा, तब तक के लिये आवेदिका के कथनों पर कोई भी पुलिस कार्यवाही आवेदिका नहीं करेगी आगामी सुनवाई को अनावेदक किरायाशुदा मकान खाली कर आवेदिका को चाबी सुपुर्द करेगा। अनावेदक आवेदिका के ससुर से अपने द्वारा दिये गये गुहार राशि के बाबत् अलग से दिवानी मामला प्रस्तुत कर सकेगा।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित आवेदिका ने बताया कि उसने 2015 में अनावेदक द्वारा किये गये अपराध के लिये 2017 में न्यायालय में 15 मार्च 2021 में अनावेदक को बरी कर दिया है। चूंकि प्रकरण न्यायालय से निर्णित हो चुका है ऐसी दशा में आयोग में सुनवाई में लेना संभव नहीं है। आवेदिका को समझाइश दिया गया कि उक्त प्रकरण की आपराधिक अवधि सत्र न्यायालय में पेश करें समझाइश के द्वारा प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित प्रकरण संपत्ति विवाद से संबंधित है जिसमें सरपंच आवेदिका के संपत्ति को बिकवाने में यथासंभव मदद करेगा इस आधार पर आयोग से प्रकरण का निराकरण किया गया।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित आवेदिका की एफ.डी. के तीन लाख रुपए अनावेदक ने अपने किसी परिचित को दिलवाया था। उक्त राशि आवेदिका को वापस करवाने की जिम्मेदारी अनावेदक की है। अनावेदक के पिता जो पुलिस विभाग में कार्यरत है उन्होंने व्यक्त किया कि 45 हजार रुपए दिया जा चुका है,बाकि 2लाख 55 हजार रुपए को चेक के माध्यम से आयोग के समक्ष आगामी सुनवाई में देने को तैयार है। एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित दोनों के मध्य विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन है। अनावेदक को निर्देशित किया गया कि प्रकरण निराकृत होने तक आवेदिका के रहने, खाने और खर्चों की व्यवस्था स्वयं करें। इस निर्देश के साथ प्रक्रिया निराकृत किया गया। एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने उसके साथ जानवरों की तरह मारपीट किया जिसकी उसने छुरा थाने में मई माह में एफ.आई.आर. दर्ज कराया है। ऐसी स्थिति में आयोग में आगे जारी रखने का औचित्य समाप्त हो जाता है। इस आधार पर प्रकरण का निराकरण किया गया।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित समझाइश देने पर अपनी पत्नी और बच्चे को ले जाने को तैयार है, पत्नी भी अपने ससुराल वालों के साथ मिलकर रहेगी। आवेदिका को पति के द्वारा किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं करेंगे। आज आवेदिका अपनी सामान की तैयारी के साथ नहीं आयी है। इसलिये आवेदिका 9 जुलाई को अपने सामान की तैयारी के साथ आयोग से पति के साथ जायेगी। इस प्रकरण की निगरानी आयोग के काउंसलर के द्वारा किया जायेगा ताकि आवेदिका के ससुराल में रहने के दौरान किसी तरह की परेशानी न हो। इस शर्त पर प्रकरण को निराकृत किया गया।