गुवाहाटी
नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक हिमंत बिस्वा सरमा रविवार को सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल के नेता चुन लिए गए। इसके बाद वे असम की अगली एनडीए सरकार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। हिमंत बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद असम पूर्वोत्तर का तीसरा राज्य होने जा रहा है, जहां वर्तमान समय में कोई पूर्व कांग्रेसी नेता बीजेपी की सरकार में मुख्यमंत्री बनेगा। सरमा ने पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का दामन थामा था और फिर बीजेपी सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया था। सरमा उस समय से ही मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल थे। हालांकि, तब बीजेपी ने असम की कमान सर्वानंद सोनोवाल को सौंपी थी।
असम के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हिमंत बिस्वा सरमा पूर्व कांग्रेसी रहे हैं और असम तीसरा राज्य होगा, जहां वर्तमान समय में सरकार तो बीजेपी की है, लेकिन उनके मुख्यमंत्री कांग्रेस के रहे हैं। असम के अलावा, अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू और मणिपुर में एन बीरेन सिंह भी कांग्रेस में रह चुके हैं और कुछ सालों पहले ही उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह साल 2016 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। इससे पहले वे कांग्रेस के सदस्य थे। फुटबॉलर और पत्रकार रहे बीरेन सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 2002 में डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी से की थी। वे पहली बार हेनगांग विधानसभा सीट से चुनकर विधानसभा में गए थे। इसके दो साल बाद साल 2004 में इस पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया और फिर कांग्रेस की सरकार में वे सतर्कता राज्य मंत्री और फिर अगली सरकार में सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, युवा मामले और खेल मंत्री बनाया गया। साल 2012 में इबोबी सिंह से बीरेन सिंह के संबंध खराब होने की वजह से उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। साल 2016 में बीजेपी में शामिल होने के बाद अगले साल के विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया।
साल 2015 में अरुणाचल प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने वाले पेमा खांडू अब बीजेपी में हैं। वे पूर्व कांग्रेसी रह चुके हैं और 16 जुलाई 2016 को कांग्रेस के विधायक दल के नेता के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। खांडू पहले सितंबर में 43 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर पीपीए में गए और फिर दिसंबर में बीजेपी में शामिल हो गए। उनके साथ इस दौरान 33 विधायक भी शामिल थे। वहीं, बाद में साल 2019 में हुए अरुणाचल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शचन करते हुए 60 में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस को सिर्फ चार सीटों से ही संतोष करना पड़ा।