अभिषेक मिश्रा हत्याकांड : विकास, अजीत को ताउम्र सजा, किम्सी दोषमुक्त

दुर्ग
वर्ष 2015 शहर के बहुर्चचित अभिषेक मिश्रा हत्याकान्ड मे दुर्ग जिला अदालत ने फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी विकास जैन और अजीत सिंह को जीवन की अंतिम साँस तक कारावास की सजा दी है। जबकि किम्सी जैन को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि दस नवंबर 2015 को शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमेन आई पी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा गायब हो गया था, और पैंतालीस दिन बाद उसका शव अजीत सिंह के निवास के बगीचे से बरामद हुआ था। आरोपियों ने शव को दफ?ा कर मिट्टी के उपर फूल गोभी की सब्जी उगा दी थी। पुलिस ने मृतक के शव का डीएनए टेस्ट कराया था हालाँकि शव के पास कड़ा अंगुठी और लॉकेट को देख कर सड़ गल चुके शव की पहचान अभिषेक के रुप में परिजनों ने की थी। शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमेन आई पी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा की हत्या का फैसला सुनाने में साढ़े पाच साल लग गये। जिला न्यायालय ने इस  मामले में आरोपी बनाए गए विकास जैन और अजीत सिंह को जीवन की अंतिम साँस तक कारावास की सजा दी है। जबकि किम्सी जैन को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है। दुर्ग कोर्ट ने पुलिस की केस डायरी को न्यायालय में पेश साक्ष्यों के आधार पर इस प्रकरण को परिस्थितिजन्य माना और विकास जैन तथा अजीत सिंह के विरुद्ध प्रकरण साबित पाते हुए दोषसिद्ध कर दिया।

पुलिस केस डायरी अभिषेक के कॉलेज में किम्सी काम करती थी, इस दौरान अभिषेक और किम्सी के नजदीकी रिश्ते बन गए। साल 2013 में किम्सी ने कॉलेज छोड़ा और विकास जैन से विवाह रचा लिया। लेकिन अभिषेक रिश्ता बनाए रखने का दबाव बना रहा था। किम्सी ने यह बता पति विकास जैन को बता दी जिसके बाद अभिषेक को योजनाबद्ध तरीके से दस नवंबर को किम्सी ने बुलवाया और उसकी हत्या कर शव को किम्सी जैन के चाचा अजीत सिंह के आँगन में 6 फीट गहरा गड्ढे में गाड़ दिया गया था। पैंतालीस दिनों तक पुलिस समेत सभी अभिषेक को लेकर अपहरण की थ्योरी में उलझे रहे।