अफगानिस्तान मसले पर ईरान के नए राष्ट्रपति ने भारत का किया समर्थन 

 
तेहरान

ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने शुक्रवार को अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा की स्थापना में भारत के रोल का समर्थन किया है। यही नहीं उन्होंने भारत और ईरान के बीच आपसी संबंधों को बेहतर बनाने के लिए साझा योजना बनाने पर भी जोर दिया है। रईसी ने गुरुवार को ही सत्ता संभाली है और उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक के दौरान ये टिप्पणियां की हैं। जयशंकर वहां उनके शपथग्रहण कार्यक्रम में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर पहुंचे हैं। उधर अफगानिस्तान मसले पर कतर के एक विदेश दूत के भी भारत पहुंचने की खबर है।
 
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया है कि उनके पद संभालने के बाद आत्मीय मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत तौर पर उनके लिए दी गई शुभकामनाओं से उन्हें अवगत कराया। ईरान के राष्ट्रपति के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया है कि भारतीय विदेश मंत्री के साथ मुलाकात में रईसी ने क्षेत्रीय शांति और स्थायीत्व को लेकर ईरान और भारत में सहयोग की अहमियत पर जोर दिया। ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि 'ईरान और भारत क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक रचनात्मक और उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं, विशेष रूप से अफगानिस्तान में; और तेहरान अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थापित करने में नई दिल्ली की भूमिका का स्वागत करता है।'
 
रईसी ने ये भी कहा है कि उनका देश भारत के साथ व्यापक संबंधों को खास तबज्जो देता है और द्विपक्षीय रिश्तों को आगे ले जाने के लिए साझा सहयोग कार्यक्रमों की आवश्यकता है। वो बोले, 'आज से हमें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विकास में नए नजरिए के साथ नए और खास कदम उठाने चाहिए।' उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पड़ोसी देशों, खासकर भारत के साथ विकास से जुड़ी नीतियों पर आगे बढ़ेगी। उन्होंने दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों खासकर आर्थिक, वाणिज्यिक और तकनीकी सेक्टर में संबंधों को और बेहतर करने का आह्वान किया है। जयशंकर ने ट्वीट किया है, 'हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता जाहिर हुई। हमारे क्षेत्रीय हितों में भी समानता थी।' भारत और ईरान के द्विपक्षीय संबंधों में तब दिक्कत आई थी, जब 2019 के मध्य में ट्रंप प्रसासन की ओर से पाबंदियों के बाद ईरान से तेल का आयात बंद कर दिया था। उस समय ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर था। ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के विकास को लेकर भी संबंध असहज हैं। ईरान ने बिना भारत को भरोसे में लिए चाबहार तक रेलवे लाइन विकसित करने की ओर कदम बढ़ाया है। यही नहीं उसने फरजाद बी गैस फिल्ड पर भी भारत को विश्वास में नहीं लिया है।
 
भारत और ईरान के बीच संबंधों की नई शुरुआत के बीच एक राजनयिक मामला भारत के लिए टेंशन का विषय बना हुआ है। भारत इस समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है। ब्रिटेन और अमेरिका ओमान के तट के पास एक इजरायली टैंकर पर हुए जानलेवा ड्रोन हमले के मसले पर सुरक्षा परिषद में चर्चा की मांग कर रहा है, जिसके आरोप ईरान पर लगाए जा रहे हैं। इस हमले में एक ब्रिटिश और एक रोमानिया के क्रू की मौत हो गई थीईरान 29 जुलाई की इस घटना में शामिल होने से इनकार कर रहा है।
 
उधर सूत्रों के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ अभियान और संघर्ष के समाधान की मध्यस्थता के लिए कतर के विदेश मंत्री के विशेष दूत मुतलाक बिन माजेद अल-खतानी भी भारत यात्रा पर आए हैं। उन्होंने शुक्रवार को संयुक्त सचिव (पीएआई) जेपी सिंह से मुलाकात की और अफगानिस्तान के हालात और अफगान शांति प्रक्रिया को लेकर हाल में हुई प्रगति पर चर्चा की है। वे सचिव (सीपीवी और ओआईए) संजय भट्टाचार्य से भी मिले हैं और द्विपक्षीय मसलों पर बातचीत की है। वे शनिवार को विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला और विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे।