हैदराबाद,
एनएमडीसी के अनुसंधान एवं विकास केन्द्र और सीएसआईआर-आईएमएमटी ने संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। आईएमएमटी, भुबनेश्वर में 26 सितंबर को श्री सुमित देब, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, एनएमडीसी और डॉ. एस बसु, निदेशक, सीएसआईआर-आईएमएमटी की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। एनएमडीसी और सीएसआईआर-आईएमएमटी के बीच सहयोग का प्राथमिक फोकस भारतीय खनिज उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी का विकास होगा। संयुक्त उद्यम सीएसआईआर-आईएमएमटी और एनएमडीसी के अनुसंधान एवं विकास केन्द्र के व्यापक ज्ञान और अनुभव का उपयोग निम्न और कम ग्रेड के लौह अयस्क का प्रसंस्करण, कोयले के बेनिफिसिएशन, खानों के अपशिष्ट का उपयोग, स्लरी परिवहन और टंगस्टन की पुन: प्राप्ति के क्षेत्र में अनुसंधान करेगा।
एमओयू पर श्री एस.के. चौरसिया, महाप्रबंधक (अनुसंधान एवं विकास ) और डॉ अशोक साहू, मुख्य वैज्ञानिक और प्रमुख,एस.पी.बी.डी., सीएसआईआर-आईएमएमटी, भुबनेश्वर ने हस्ताक्षर किए। एनएमडीसी के अनुसंधान एवं विकास केंद्र की स्थापना 1996 में की गई थी और इसे यूनिडो द्वारा खनिज प्रसंस्करण के क्षेत्र में ‘उत्कृष्टता का केंद्र’ के रूप में मान्यता दी गई है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) एक अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास संगठन है जो विविध विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अपने व्यापक ज्ञान के के लिए जाना जाता है।
इस अवसर परश्री सुमित देब, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, एनएमडीसी ने कहाकि “भारतीय खनन क्षेत्र जहां आत्मनिर्भरता के युग में प्रवेश कर रहा है, वहीं एनएमडीसी खनन में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने के लिए निवेश कर रहा है। सीएसआईआर-आईएमएमटी के साथ यह गठजोड उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”