तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आयोजन : 104 शोधपत्रों का होगा वाचन

रायपुर, 

राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आयोजन 19 अप्रैल से किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय महोत्सव में देश भर के जनजातीय साहित्यकार शामिल होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 19 अप्रैल को राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल ऑडीटोरियम में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का शुभारंभ करेंगे।

राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव, राज्य स्तरीय जनजाति नृत्य महोत्सव एवं राज्य स्तरीय जनजाति कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन राजधानी रायपुर में 19 से 21 अप्रैल तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, रायपुर में होने जा रहा है। तीन दिन के कार्यक्रम के दौरान कुल 104 शोधपत्रों का वाचन किया जायेगा, जिसमें प्रथम दिवस को कुल 40 शोधपत्र पढ़े जायेगें।

प्रथम दिवस में राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव में देश के प्रख्यात साहित्यकार जो जनजातीय साहित्य लेखन में रूची रखते है, भागीदारी करेंगे। प्रथम सत्र में ‘जनजातीय साहित्य भाषा विज्ञान एवं अनुवाद, जनजातीय साहित्य में जनजातीय अस्मिता एवं जनजातीय साहित्य में जनजातीय जीवन का चित्रण और द्वितीय सत्र में ‘जनजातीय समाजों वाचिक परम्परा की प्रासंगिकता एवं जनजातीय साहित्य में अनेकता एवं चुनौतियां‘ विषय पर शोधपत्र का वाचन किया जायेगा।

प्रमुख शोधपत्रों में- आधारभूत व्याख्यान-गोंडी भाषा लिपियों की मानकीकरण पर डॉ. के.एम. मैत्री, वर्तमान परिदृश्य में भिलाला जनजातीय की लोक संस्कृति का बदलता स्वरूप समस्या एवं चुनौतियां पर डॉ. रेखा नागर, पूर्वाेत्तर भारत की मिसिंग जनजातीय की भाषा, साहित्य एवं संस्कृति एक अवलोकन पर डॉ. अभिजीत पायेंग, आदिवासी साहित्य में आदिवासी पहचान का चित्रण पर डॉ. प्रमोद कुमार शुक्ला और डॉ. प्रिवांका शुक्ला अपने शोधपत्र का वाचन करेंगी। जनजातीय साहित्य संस्कृति में माननीय मूल्यों का समीक्षात्मक अध्ययन पर गिरीश शास्त्रीय एवं डॉ. कुवंर सुरेन्द्र बहादुर, लोक भाषा हल्बी का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन पर डॉ. हितेश कुमार, आदिवासी जनजाति साहित्य जीवन का सामाजिक चित्रण पर डॉ. सुनीता पन्दों शोधपत्र पर वाचन करेंगी। Wilderness in the Public Eye Life of Bastar Tiger Boy पर टाईटन बेलचंदन और सीमा दिल्लीवार,Significance of Indigenous fermented Beverages in Bison Horn Maria Life पर डी.डी. प्रसाद और बिन्दु साहू, जंगल के फूल उपन्यास में अभिव्यक्त आदिवासी समाज के मानवीय मूल्य पर तरूण कुमार, गोंड़ो का जीवन दर्शन पर कोया पुनेम (डॉ. किरण नुरूटी) और बैंगा जनजाति का विवाह संस्कार पर धनीराम कडमिया बैगा शोधपत्र का वाचन करेंगे।

इसी तरह साहित्य परिचर्चा के अंतर्गत कुल 131 प्रतिभागियों के नाम प्राप्त हुए हैं। प्रथम दिवस में 20 प्रतिभागी परिचर्चा में हिस्सा लेगें। प्रथम सत्र में भारत में जनजातीय भाषा एवं साहित्य का विकास वर्तमान एवं भविष्य‘ एवं द्वितीय सत्र में भारत में जनजातीय विकास मुद्दे, चुनौतियां एवं भविष्य‘ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा। शोधपत्र वाचन एवं साहित्य पर परिचर्चा में खास बात यह है कि इसमें छत्तीसगढ़ के अलावा पूरे देश से प्रख्यात साहित्यिक विभूतियां सहभागिता निभा रहे हैं।

इनमें प्रमुख रूप से पद्मश्री डॉ. दमयन्ती बेसरा (ओडिशा), पद्मश्री  हलधर नाग (ओडिशा), पद्मश्री साकिनी रामाचन्द्र, प्रो. एस.जेड. एच. आबिदी, रूद्र पाणिग्रही, डॉ. संदेशा रायप्पा गर्बियाल, डॉ. गंगा सहाय मीणा, प्रो. पी. सुब्बाचारी, डॉ. अलका सिंह, श्रीमती जोबा मुरमो, डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. कंचन शर्मा, महादेव टोप्पो, प्रो. सरत कुमार जेना शामिल है।

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