पूर्व रमन सरकार ने मीसाबंदियों को पेंशन देने के नाम से जनता की टैक्स से मिले 100 करोड़ रुपया संघी और भाजपाइयों के ऊपर लुटाया

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रायपुर,

भाजपा नेता एवं लोकतंत्र सेनानी संघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि माननीय न्यायालय ने मीसाबन्दी पेंशन के नाम से पूर्व रमन सरकार के द्वारा शुरू की गई आरएसएस भाजपा नेताओं के मुफ्तखोरी पर रोक लगाई है।पूर्व की रमन भाजपा की सरकार ने आरएसएस और भाजपा के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने राज्य के खजाने को लगभग 100 करोड़ रूपये से ऊपर की चोट पहुंचाई है।प्रदेश की जनता नमक और रोटी खा रही थी और रमन सरकार अपने दल के प्रचारक चाटूकार आरएसएस भाजपा नेता को 100 करोड़ की रेवड़ी खिला रहे थे। पूर्व की रमन सरकार ने किसानों को धान की कीमत 2100 रु प्रति क्विंटल और 300 रु  बोनस नहीं दिया 2003 के घोषणा पत्र अनुसार 12वी पास युवाओं को 500 रु बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया।आदिवासियों को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं दिया।लेकिन आरएसएस और भाजपा के नेताओं को पालने के लिए राज्य के खजाने को 100 करोड़ का चोट पहुंचाया गया। आज न्यायालय के फैसले से पूर्व के रमन सरकार की बदनियति उजागर हो गई।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जो खुद को लोकतंत्र का सेनानी बताते हैं वह आज कहां छुपे हुए हैं जब वास्तविक में देश की सत्ता में बैठी सरकार संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है जनमत का अपमान कर रही है और तानाशाही रवैया अपना रही है सरकार के खिलाफ असहमति व्यक्त करने वालों को डराया जा रहा है धमकाया जा रहा है केंद्रीय शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहे हैं ईडी सीबीआई जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग कर लोकतंत्र की चुनी हुई जनता की सरकारों को खंडित किया जा रहा है। लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ को बोलने से रोका जा रहा है अभिव्यक्ति की आजादी का हनन किया जा रहा है समय पर लोगों को ट्रेन नहीं मिल रहा है महंगाई चरम सीमा पर है बेरोजगारी बढ़ रही है सरकारी कंपनियां बिक्री है देश पर कर्ज बढ़ रहा है ऐसे में जब वास्तविक लोकतंत्र को बचाने की आवश्यकता है लोकतंत्र बचाने की मुहिम में खड़े होने की आ सकता है तो कहां छिपे हैं लोकतंत्र के सेनानी?

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जो लोकतंत्र के सेनानी होने का चोला ओढ़ कर घूम रहे हैं असल में उसमें से अधिकांश लोग आरएसएस और भाजपा के एजेंट हैं जिनका मकसद लोकतंत्र की मर्यादा को बचाए रखना नहीं है बल्कि लोकतंत्र के विपरीत धारा में चल रही मोदी सरकार का गुणगान करना आपातकाल की आड़ में आर एस एस और भाजपा कब तक अपनी राजनीतिक रोटी सेकेगी। आपातकाल के दौरान कई और राजनीतिक दल के लोग थे जो विरोध में थे उन्होंने लोकतंत्र सेनानी होने का पेंशन लेने से इंकार कर दिया सिर्फ भाजपा और आरएसएस से के नेताओं को ही पेंशन चाहिए।

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