काका की पहचान – बलराम सिंह ‘बल्लू-बल’

 

कविता 

अब तुझपर अभिमान रहेगा,
काका तेरा मान रहेगा।
तूने मुश्किल कर दिखलाया,
इसीलिए तू जान रहेगा।।
१.
तुमने जो इतिहास रचा है,
सबके दिल में आन बसा है।
पेंशन ही टेंशन था साला,
उस टेंशन का स्वाद चखा है।
गिरवी अब न मकान रहेगा।
काका तेरा मान रहेगा।।
२.
माना कि मुश्किल था काम,
पाना था ये बड़ा मुकाम।
फ्रंट पेज पर आएगा अब,
अखबारों में तेरा नाम।
अब ना तू अनजान रहेगा।
काका तेरा मान रहेगा।।
३.
सपना अब हम एक बुनेंगे,
नेता अपना तुम्हें चुनेंगे।
जो करते औरों की बातें,
कान बंद कर उन्हें सुनेंगे।
तेरा ही गुणगान रहेगा,
काका तेरा मान रहेगा।।
४.
लोकतंत्र की तुम पहचान,
इस नायक का रोल महान,
हमने तुमको नाम दिया ये,
सादा अक्षर सादा ज्ञान।
छोटा बड़ा समान रहेगा।
काका तेरा मान रहेगा।।
५.
कितना हाहाकार मचा था,
हालातों का होड़ लगा था।
तूने सब सीधा कर डाला,
रस्ता छोटा मोड़ बड़ा था।
हमको इसका ध्यान रहेगा,
काका तेरा मान रहेगा।।
छत्तीसगढ़ पर शान रहेगा।
काका तेरा मान रहेगा।।

बल्लू-बल ( बलराम सिंह – बेमेतरा )

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