नई दिल्ली
साउथ सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को एलान किया है। कोरोना वायरस की वजह से इस बार सभी पुरस्कारों को घोषणा देरी से हुई है। हाल ही में नेशनल अवॉर्ड की घोषणा भी हुई है। दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है।
प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- 'हमें खुशी है कि देश के सभी भागों से फिल्मकार, अभिनेता, अभिनेत्री, गायक,संगीतकार सभी लोगों को समय समय पर दादा साहब फाल्के अवॉर्ड मिला है. आज इस साल का दादा साहब फाल्के अवॉर्ड महान नायक रजनीकांत को घोषित करते हुए हमें बहुत खुशी है. रजनीकांत बीते 5 दशक से सिनेमा की दुनिया पर राज कर रहे हैं और लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं. यही कारण है कि इस बार दादा साहेब फाल्के की ज्यूरी ने रजनीकांत को ये अवॉर्ड देने का फैसला लिया गया है.'
इस साल ये सिलेक्शन ज्यूरी ने किया है. इस ज्यूरी में आशा भोंसले, मोहनलाल, विश्वजीत चटर्जी, शंकर महादेवन और सुभाष घई इन पांचों ज्यूरी ने बैठक करके एक राय से महानायक रजनीकांत को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड देने की सिफारिश की.
रजनीकांत ने अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगन से ये स्थान लोगों के दिल में जमा लिया है. ये उनका सही गौरव है. दादा साहब फाल्के अवॉर्ड इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दादा साहब फाल्के ने पहला सिनेमा 1913 में राजा हरिशच्रंद बनाया था. तो उस राजा हरिशचंद्र सिनेमा के बाद ये पहले चित्रपट महर्षि कहलाने लगे और दादा साहब फाल्के की मृत्यु के बाद ये अवॉर्ड उनके नाम से रखा गया और आजतक 50 बार ये अवॉर्ड दिया गया है.
रजनीकांत का बचपन मुश्किलों से भरा रहा है। बचपन में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। रजनीकांत की असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था। यही शिवाजी राव आगे चलकर रजनीकांत बने। रजनीकांत पांच साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया। मां के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंघे पर आ गई। रजनीकांत के लिए भी घर चलाना इतना आसान नहीं था। उन्होंने घर चलाने के लिए कूली तक का काम किया।
रजनीकांत फिल्मों में आने से पहले बस कंडक्टर की नौकरी करते थे। रजनीकांत ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बालचंद्र की फिल्म 'अपूर्वा रागनगाल' से एंट्री ली थी। इस फिल्म में कमल हासन और श्रीविद्या भी थीं। रजनीकांत ने अपने अभिनय की शुरुआत कन्नड़ नाटकों से की थी। दुर्योधन की भूमिका में रजनीकांत घर-घर में लोकप्रिय हुए थे।