प्रदेश मे लगातार हो रहे पलायन को रोकने सरकार के पास कोई योजना नहीं,पलायन आज भी जारी है- सूरज उपाध्याय

रायपुर,

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सह संयोजक सूरज उपाध्याय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार अब एक नया तिहार बोरे बासी दिवस मनाने जा रही है छत्तीसगढ़ के व्यंजनों को इस तरह से बढ़ावा देना एक स्वागत करने योग्य कदम है। किंतु उसी बोरे बासी को हर दिन खाकर अपना पेट भरने वाले छत्तीसगढ़ के उन मजदूरों का जो हाल है उस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

आप के नेता सूरज उपाध्याय ने कहा आज प्रदेश में विकास कार्य ठप पड़े हैं मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही और छत्तीसगढ़ मे लगातार पलायन हो रहा है, बोरे बासी खा कर मजदूरी करने वाले वो मेहनत कर मजदूर आज अपने प्रदेश छत्तीसगढ़ से पलायन कर अन्य राज्य की ओर जाने को मजबूर है । जबकि इस पलायन को रोकने के लिए ही 2 दिन पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 61 नए पेट्रोलिंग वाहनों को हाईवे पर भेजा मतलब इसबात से अंजान नही है प्रदेश के मुखिया जबकि असल मजदूरों को सही काम और दाम देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि 5वीं अनुसूची क्षेत्र होने के बाद भी फर्जी ग्राम सभा आयोजन करके प्रस्ताव पास करा लिया जाता है, आदिवासियों के विरोध को दरकिनार कर दिया जाता है और ये कंपनियां और सरकार दावा करती हैं कि इससे रोजगार का सृजन होगा,आबादी को पुनर्वास के तहत सभी सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी, छत्तीसगढ़ में संचालित खदानों में कितने स्थानीय लोगों को रोजगार मिला?कोई आंकड़ा है सरकार के पास तो प्रस्तुत करे। अभी मुख्यमंत्री जी प्रदेश के 90 विधानसभाओ का दौरा करने वाले है जिसमे आज सुकमा से जिस प्रकार उन्होंने चालु किया है हमारा निवेदन है उनसे की जरा पलायन कर रहे हमारे मजदूर भाइयो की भी सुध ले ले ताकि उनके लिए कोई कार्ययोजना बना सके जिससे अपने प्रदेश मे ही उनके रोजगार के लिए साधन मुहैय्या करा पाए एवं पलायन को रोका जा सके ।

वहीं प्रदेश सचिव उत्तम जायसवाल ने कहा इसके पहले भी छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध चलाए गए सलवा जुडूम अभियान के दौरान बस्तर क्षेत्र से हजारों की संख्या में आदिवासियों ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पलायन किया था. करीब 17 सालों तक बाहर रहने के बाद उन्हे वापस आने पर बेघर होना पड़ रहा है। दरअसल, पलायन के दौरान जहा यह रह रहे थे आंध्रप्रदेश और तेलंगाना दोनों राज्य की सरकारों ने इनके घरों को तोड़कर वहाँ पौधारोपण कर दिया है. और इसके पीछे उनका तर्क दिया जा रहा है की इन आदिवासियों के पास वैध दस्तावेज नही हैं। इनके बेघर हो जाने के बाद अब ये आदिवासी परिवार दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

कुछ दिन पूर्व ही 50 से अधिक आदिवासी राजधानी रायपुर आये थे , जिन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया । इसके बाद वे 6 अप्रेल को दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के सामने अपनी मांग रखेंगे।

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में रोजगार पाने की आस छोड़ चुके युवा अन्य राज्यों में पलायन के लिये विवश हैं। उनका बेरोजगारी भत्ता भी उनसे छीना जा चुका है। पर इस लज्जाहीन भूपेश सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगने वाली।आज भी रायगढ़, कोरबा जांजगीर- चाम्पा,बिलासपुर और मुंगेली जिलों से हर साल लाखों लोग रोजगार की तलाश में दिल्ली, उत्तरप्रदेश, पंजाब और जम्मू कश्मीर जातें हैं।

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